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इमाम हुसैन अ. की इबादत
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इब्ने सब्बाग़ मालिकी बयान करते हैं कि "जब इमाम हुसैन अ. नमाज के लिए खड़े होते थे तो आपका रंग पीला पड़ जाता था। आपसे पूछा गया कि नमाज के समय ऐसा क्यों होता है? तो आपने कहा: तुम्हें नहीं पता कि मैं किस महान हस्ती के सामने खड़ा हो रहा हूँ!!!




इमाम मूसा काज़िम अ. की शहादत की याद मनाने लाखों ज़ायरीन काज़मैन पहुँचे।
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इमाम हज़रत मूसा काज़िम (अ.स) के शहादत दिवस के अवसर पर लाखों की संख्या में इराक़ पहुंचे श्रद्धालु। शिया मुसलमानों के सातवें इमाम हज़रत मूसा काज़िम (अ.स) के शहादत दिवस पर इराक़ की राजधानी बग़दाद के पास स्थित काज़मैन में इमाम मूसा काज़िम (अ.स)


वहाबियत एक नासूर
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इस्लाम दुश्मनों ख़ास कर ब्रिटेन ने इस्लाम को कमजोर करने और मुसलमानों के बीच फूट डालने के लिए जो विभिन्न षड़यंत्र रचे हैं उनमें से एक बहुत ही कारगर षड़यंत्र “इस्लामी उम्मत में विभिन्न संप्रदाय जन्म देना” है। ब्रिटेन ने मुसलमानों के बीच इस्लाम के नाम पर बहुत से संप्रदाय बनाए जिनमें सबसे महत्वपूर्ण और मशहूर संप्रदाय जो इस समय इस्लामी दुनिया में एक कैंसर के








हज़रत इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम का जीवन परिचय
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नाम व अलक़ाब (उपाधियाँ) इमामे सज्जाद अलैहिस्सलाम का नाम अली व आपकी मुख्य उपाधि सज्जाद हैं। माता पिता




खाना खाने से पहले और बाद में हाथ धोना।
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माम जाफ़र सादिक़ फ़रमाते हैं: जो कोई भी खाना खाने से पहले और बाद में हाथ धोता है तो खाने के शूरू और बाद में उसके लिए बरकत होती है और जब तक जीवित रहता है समृद्ध जीवन बिताता है और शारीरिक बीमारियों से दूर रहता है।


हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा
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मक्का नगर पर चांदनी बिखरी थी और पूरे नगर पर मौन छाया था किंतु एसा लग रहा था जैसे महान ईश्वरीय दूत हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैही व आलेही व सल्लम के लिए समय की गति भिन्न थी। उन्हें एक चांद सी पुत्री की प्रतीक्षा थी जिसकी सूचना उन्हें उनके ईश्वर ने दी थी। प्रतीक्षा की घड़ियां धीरे धीरे समाप्त हो रही थीं। पैग़म्बरे इस्लाम की पत्नी हज़रत खदीजा अकेले ही अपनी पुत्री की प्रती




पैग़म्बरे इस्लाम स.अ. की वफ़ात
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अहलेबैत न्यूज़ एजेंसी अबना: इलाही पैग़म्बरों ने दीन के पौधे की सिंचाई की क्योंकि उन्हें इंसानी समाजों में भलाई फैलाने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी। उनका उद्देश्य समाज में तौहीद को फैलाना, अद्ल व न्याय की स्थापना और अंधविश्वास व जेहालत से लोगों को दूर कर कमाल (परिपूर्णतः) की ओर मार्गदर्शन करना था। इलाही पैग़म्




इमाम जाफ़र सादिक़ फ़रमाते हैं:
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जो कोई भी खाना खाने से पहले और बाद में हाथ धोता है तो खाने के शूरू और बाद में


मुहब्बते अहले बैत के बारे में अहले सुन्नत का नज़रिया
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अब्दुल क़ाहिर बग़दादी जो पाँचवीं सदी में अहले सुन्नत के एक बुज़ुर्ग आलिम थे उन्हों ने अहले बैत अलैहिमुस्सलाम से मुहब्बत के बारे में अहले सुन्नत के नज़रिये को इस तरह ब्यान किया हैः अहले सुन्नत हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम और हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और पैग़म्बर सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम के मशहूर फर्ज़न्द जैसे हसन बिन हसन, अब्दुल्लाह बिन हसन, हज़रत ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम, हज़रत मुहम्मद बाक़िर अलैहिस्स



